रजत राणा
बंपर टू बंपर ट्रैफिक पूरी दुनिया के लिए एक मुसीबत बनकर सामने आया है। ऐसे में इस सोल्यूशन में बाजी मारी है गाड़ियों के ऑटोमेटिक सिस्टम ने। सिर्फ एक्सीलरेटर दबाओ गाड़ी आगे बढ़ाओ, ब्रेक लगाओ और रुक जाओ। इस सिस्टम ने लोगों को काफी सुकून दिया है। यही वजह है कि आज भारतीय बाजार में ऑटोमेटिक गाड़ियों का चलन तेजी के साथ बढ़ा है। पिछले साल 2017 में भारत में कुल 3.5 लाख के करीब आटोमेटिक कारो की बिक्री हुई जो कुल बिक्री का लगभग 10 फीसदी हिस्सा है। अब से तीन साल पहले भारत में ऑटोमेटिक गाड़ियों का शेयर 5 फीसदी के करीब था लेकिन अनुमानों के मुताबिक अगले पाँच साल में ये आंकड़ा 30 – 40 % तक हो सकता है।
भारतीय बाजार में दो पैडल वाली कार को फेमस करने का श्रेय मारुति सुजुकी को जाता है मारुति सुजुकी का AMT सिस्टम बहुत कम समय में लोकप्रिय हो गया है और इसका साथ दिया हौंडा के CVT सिस्टम ने, लेकिन दोनों ही आटोमेटिक सिस्टम है फिर दोनों में अंतर क्या है और मैन्युअल सिस्टम आटोमेटिक सिस्टम से किस तरह से अलग है भारत में अभी भी आटोमेटिक कार को लेकर लोगो में कॉन्फिडेंस की कमी है शायद इसकी वजह जानकारी की कमी है क्या है आटोमेटिक सिस्टम AMT, CVT और DSG ये सब मैन्युअल सिस्टम से किस तरह अलग है आइए आपको बताते हैं।
पारंपरिक मैनुअल ट्रांसमिशन
मैन्युअल सिस्टम इन गाड़ियों में तीन पैडल्स होते है एक एक्सेलरेटर, ब्रेक और क्लच इसमें गियर चेंज करने के लिए गियर शिफ्टर के साथ क्लच पेडल का इस्तेमाल होता है गाड़ियों के मॉडल्स के अनुरूप ये 5 या 6 गियर्स की हो सकती है हर बार गियर चेंज करने पर क्लच का यूज़ होने की वजह से इंजन पावर बाधित होती है, इंजन पावर में कमी को आप ओवरटेकिंग के समय मह्सूस कर सकते है। फ्यूल एफिशिएंसी के हिसाब से ये गियर सिस्टम बेहतर है लेकिन ड्राइविंग एक्सपीरियंस की बात करे तो ये काफी पीछे है।
ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन
AMT जिसे ऑटोमेटेड मैन्युअल सिस्टम भी कहा जाता है इंजन कण्ट्रोल यूनिट और इलेक्ट्रो हाइड्रोलिक मैकेनिज्म का मिलाजुला रूप है जिसे ट्रांसमिशन कण्ट्रोल यूनिट (TCU) से कण्ट्रोल किया जाता है जोकि ड्राइवर को रफ़्तार के हिसाब से बिना क्लच के गियर चेंज करने में मदद करता है एक तरह से यह सिस्टम मैन्युअल गियर्स का Electro Optimization है। हम इसे सही मायने में आटोमेटिक नहीं कह सकते क्यूंकि गियर चेंज में होने वाले बदलाव स्मूथ नहीं है मैन्युअल सिस्टम की ही तरह यहाँ गियर चेंज करने पर इंजन पावर बाधित होती है। लेकिन भारत में मौजूदा परिस्थितियों के हिसाब से यह सिस्टम खुद को साबित करने में सफल रहा है।
सीवीटी को जानें
CVT सिस्टम को कॉन्टिनियस वेरिएबल ट्रांसमिशन भी कहा जाता है। इससे संबद्व इंजन इस तरह से डिज़ाइन किये जाते है की स्पीड के हिसाब से फ्यूल एफिसिएंट हो जबकि AMT के साथ ऐसा नहीं है इस इंजन में गियर चेंज करने के लिए दो अलग तरह की पुल्ली का यूज़ किया जाता है जिसे एक बेल्ट की मदद से साथ जोड़ा जाता है इसका एक हिस्सा इंजन से जुड़ा होता है और दूसरा हिस्सा टायर्स के साथ। इस टेक्नोलॉजी में गियर चेंज करते वक़्त इंजन पावर बाधित नहीं होती जैसा AMT में होता है कीमत के हिसाब से यह थोड़ी महंगी है। लेकिन ड्राइविंग एक्सपीरियंस के लिहाज़ से यह बेहतर है भारत में हौंडा और हुंडई ने इसे अपने मॉडल्स में यूज़ करना शुरू कर दिया है।
क्या है DSG सिस्टम
DSG सिस्टम को ड्यूल क्लच गियरबॉक्स सिस्टम कहते है यह सिस्टम टेक्नीक के लिहाज़ से CVT और AMT दोनों से एकदम अलग है। इस इंजन में दो इलेक्ट्रानिकली कंट्रोल्ड क्लच, दो शाफ़्ट और गियर्स के दो अलग सेट होते हैं। एक इवन और दूसरा ओड जैसे 1, 3, 7 का एक सेट और 2, 4, 6 का एक अलग सेट. ये दोनों एक तरह से दो अलग मैन्युअल गियर सिस्टम है जोकि एक साथ एक बॉक्स में पैक होते है और ड्राइविंग कंडीशंस के हिसाब से एक साथ मिल कर काम करते हैं। इसमें दोनों क्लच एक – एक सेट के साथ काम करती है गियर शिफ्टिंग के दौरान एक सेट के डाउन होते ही दूसरा सेट अप हो जाता है और दोनों क्लच इंजन पावर को स्मूथली पास करने के हिसाब से इन दोनों सिस्टम्स के साथ मिल कर काम करती है यह पूरी तरह से एक आटोमेटिक सिस्टम है और मोस्टली लक्ज़री आटोमेटिक कारस में यही यूज़ होता है volkswagen, Audi, Mercedes, BMW आदि सभी बड़े ब्रांड्स आटोमेटिक सिस्टम में DSG technology का उपयोग करते है।