MG Gloster भारतीय बाजार में जल्द ही लॉन्च होने वाली है। ये ऐसी गाड़ी है जिसमें कंपनी ने सेगमेंट फर्स्ट Autonomous Level 1 को इंट्रोड्यूस किया है। इस पर अलग से एक वीडियो बनाया है जिसे आप हमारे यूट्यूब चैनल पावर ऑन व्हील पर जाकर देख सकते हैं। कैसे काम करता है ये फीचर और क्या होता है ऑटोनोमस लेवल वन ? आइए आपको बताते हैं इस आलेख में। लेकिन इसमें आगे बढ़ने से पहले आपको ये बता देते हैं कि अभी तक पूरी दुनिया में कितने Autonomous Level आ चुके हैं।
MG Gloster के ऑटोनोमस को समझने से पहले ये जानें
पूरी दुनिया में अब तक Autonomous के पांच लेवल आ चुके हैं। पहले लेवल में ड्राइवर असिस्टेंस दिया जाता है जिसमें क्रूज कंट्रोल के जरिए रफ्तार पर काबू किया जाता है व जरूरत पड़ने पर गाड़ी अपनी रफतार कम या ज्यादा करती है आगे वाले आब्जेक्ट को सेंस करके। दूसरे Autonomous Level में पार्शल ऑटोमेशन होता है। इसे ऑटोमेटिक ड्राइविंग असिस्टेंस सिस्टम भी कहा जाता है। जिसमें गाड़ी स्टीयरिंग व एक्सीलरेशन का जिम्मा उठा लेती है लेकिन इसमें ड्राइवर की इच्छा के अनुसार गाड़ी काम करती है व ड्राइवर किसी भी क्षण कार से कंट्रोल खुद छीन सकता है। Automation level 3 में कंडीशनल ऑटोमेशन होता है जिसके तहत गाड़ी environmental detection के तहत संचालित होती है और गाड़ी के ज्यादातर कार्य परफॉर्म करने की योग्यता रखती है लेकिन इसमें भी गाड़ी ड्राइवर की अनिवार्यता जरूरी है। Automation level 4 में हाई आटोमेशन होता है और गाड़ी स्पेसीफिक परिस्थिति में ज्यादातर कार्य करने की क्षमता रखती है, इसमें जियोफेंसिंग की अनिवार्यता होती है। लेकिन इसमें ड्राइवर भी विकल्प के तौर पर गाड़ी रह सकता है। लेकिन अब हम पहुंच चुके हैं Automation level 5 में जहां ड्राइवर की कोई जरूरत नहीं है और गाड़ी ड्राइविंग से जुड़े सभी तरह के टास्क कर सकती है। ये अब साकार रूप ले चुका है बस कुछ परिस्थितियों में इसका परीक्षण अभी चल रहा है। पूरी दुनिया में धीरे-धीरे ही सही पर आटोमेशन अपनी जगह बनाता जा रहा है।
MG Gloster का Advanced Driver Assistance System
MG Gloster में सेगमेंट फर्स्ट Advanced Driver Assistance System फीचर दिया गया है जिसका शॉर्ट फॉर्म है ADAS। इसकी मदद से आप बेहद आसान तरीके से अपनी कार को ड्राइव कर सकते हैं। इस सिस्टम को एग्जीक्यूट करने के लिए इसमें एक रियर व्यू मिरर के ऊपर एक 360 डिग्री कैमरा लगाया गया है जो सामने की रोड को दूर से डिटेक्ट करके गाड़ी को सूचित करता रहता है और गाड़ी के सेंसर उसके आधार पर अपनी रफतार को कम ज्यादा करते रहते हैं। लेकिन इसमें स्टीयरिंग व्हील आपको ही संभालकर रखना पड़ता है। इस सिस्टम को ऑन करने से पहले आपको क्रूज कंट्रोल शुरू करना पड़ता है जिसके बाद ये फीचर काम करना शुरू करता है।
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इन फीचर्स के बारे में भी जान लें
ADAPTIVE CRUISE CONTROL (ACC)
ये क्रूज कंट्रोल का एक इंटीलेजेंट तरीका है जो कि कैमरा बेस्ड सिस्टम है, इसमें लगा कैमरा आगे की रोड को स्कैन कर लेता है और उसके अनुसार ब्रेक व एक्सीलरेट करता है जिससे एक सेफ डिस्टेंस मेनटेन रहती है सामने चल रही गाड़ी से जिसके सहयोग से ड्राइवर सुरक्षित सड़क पर चलता रहता है। ये सिस्टम ऑटोमेटिकली गाड़ी की रफ्तार सामने चल रहे वाहन के हिसाब से कम व ज्यादा करता रहता है। आजकल बहुत से गाड़ियों में ये फीचर दिया जा रहा है।
AUTOMATIC PARKING ASSIST (APA)
जब आप कभी अपनी गाड़ी को पैरलल या फिर वर्टिकल पार्क कर रहे होते हैं तो ये आपके बहुत काम आता है और गाड़ी खुद अपनी जगह बनाकर उसमें पार्क हो जाती है इसमें आपको स्टीयरिंग छूने की जरूरत नहीं पड़ती।
FORWARD COLLISION WARNING (FCW)
ये सिस्टम सामने आ रही बाधा को देखते हुए ड्राइवर को इसकी सूचना दे देता है। इसमें चाहे सामने टू व्हीलर, फोर व्हीलर या फिर कोई पैदल यात्री ही क्यूं न हो, सबकी सूचना आ जाती है।
AUTOMATIC EMERGENCY BRAKE (AEB)
सामने मुसीबत देख गाड़ी खुद ब्रेक कर लेती है बिना आपको बताए जिससे किसी बड़ी दुर्घटना से आप बच सकें।
BLIND SPOT DETECTION (BSD)
अगर आपके अगल-बगल में कुछ खतरा दिखता है तो उसकी सूचना गाड़ी आपको देकर एलर्ट कर देती है। उदाहरण के तौर पर अगर कोई गाड़ी आपके ज्यादा करीब आ जाए या फिर खतरनाक तरीके से ओवरटेकिंग करने लगे।
LANE DEPARTURE WARNING (LDW)
अगर आप अपनी लेन से भटक रहे होंगे तो इसकी चेतावनी कार आपको देती रहती है और ये भी सुरक्षा के लिहाज से बेहद जरूरी है।
और अधिक जानकारी के लिए देखें ये वीडियो
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