उम्मीद का दामन अगर छूट जाए तो अच्छी भली जिंदगी जहन्‍नुम बन जाती है। लेकिन गाजियाबाद में एक रिक्‍शा चालक की जिंदगी आपको हिलाकर रख देगी। हमीरपुर के रहने वाले राजू मेहनती थे व बढ़िया गाड़ी चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे, लेकिन एक दिन उनकी जिंदगी में सबकुछ खत्म सा हो गया जब एक दुर्घटना में उनका एक पैर 2010 में कट गया। लेकिन किस्मत अच्छी थी राजू की जान बच गई। लेकिन राजू के सामने सबसे बड़ी समस्या थी बिना एक पैर के अपने पैरों पर खड़े होकर परिवार का पालन पोषण करना। लेकिन राजू ने इसे एक चैलेंज के तौर पर लिया और एक पैर से साइकल चलाना शुरू कर दिया।

सामने से जाती गाड़ियों को देखकर राजू रुककर काफी देर तक उसे निहारते रहते। लेकिन अब कोई फायदा नहीं था क्योंकि वो अपने एक पैर से वो भी बाएं पैर के सहारे वो गाड़ी नहीं चला सकते थे। किसी ने उनसे कहा कि एक पैर से भी गाड़ी चल सकती है लेकिन ऐसा संभव इसलिए नहीं था क्योंकि अगर दाहिना पैर सलामत रहे तभी ऐसा हो सकता है अन्यथा नहीं। क्योंकि ऑटोमेटिक गाड़ियों की ड्राइव में सिर्फ दाहिने पैर की ही जरूरत होती है। एकदिन गांव के कुछ लोगों ने राय दी कि अगर वो शहर चला जाए तो लोग उसे इसके इस हाल पर बहुत पैसा देंगे।

राजू ने लोगों की बात मानकर गाजियाबाद अपने जानपहचान के लोगों के साथ आ गया। लेकिन उसने भीख मांगने के पेशे को स्वीकार नहीं किया और जुगाड़ करके रिक्‍शा किराए पर लिया और उसे चलाने लगा। धीरे-धीरे हिम्मत बढ़ती गई और राजू ने अपनी आमदनी रिक्‍शे के जरिए बढ़ा ली। 2016 से राजू गाजियाबाद के घंटाघर के आसपास रिक्‍शा चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण अच्छे से कर रहा है। राजू का कहना है कि किसी के आगे हाथ फैलाने से अच्छा है भगवान ने जो एक पैर सलामत रखा हुआ है उसका ही इस्तेमाल कर लिया जाए।

राजू से किए गए कुछ सवालों के जवाब

आपके रिक्‍शे में बैठने से लोग डरते नहीं?
राजूः कुछ लोग डरते हैं वो नहीं बैठते पर जो लोग एक बार बैठ लेते हैं और दोबारा मुझे देखते हैं तो अपने आप रोककर बिना कोई सवाल किए बैठ जाते हैं। अब लोग बैठते हैं इसीलिए तो मैं अपने एक पैर पर भी मजबूती से खड़ा हूं। इज्जत की रोटी कमाने का अपना अलग ही मजा है।

बच्‍चे पढ़ते हैं?
राजूः हां साहब, पूरी कोशिश है कि उन्हें कोई कष्ट न होने दूं भगवान ने मुझे एक नया जीवन दिया है जिससे मेरे बच्चों को कोई दिक्कत न हो। उन्हें अच्छे से पढ़ा रहा हूं।

एक पैर से चलाने में डर लगता है?
राजूः नहीं, अब एकदम डर नहीं लगता ऐसे लगता है जैसे मेरे दोनों पैर की ताकत एक में ही आ गई है।

गाड़ियां मिस करते ‌हो?
राजूः बहुत ज्यादा, मैं सारी गाड़ी चला लेता था ट्रक, बस, ट्रैक्टर, जीप व कार। लेकिन अब नहीं चलाऊंगा क्योंकि मुझे पता है बिना पैर के मैं अपने एक पैर से गाड़ी नहीं संभाल सकता। पर आपको बताता चलूं साहब रिक्‍शा चलाना गाड़ी चलाने से अधिक कठिन काम है।

रिक्‍शा अभी भी किराए पर है?
राजूः हां, मैं इस रिक्‍शे के 1500 रुपये हर महीने देता हूं। सोचा है किसी दिन थोड़ा पैसा जमा हो जाएगा तो एक नया रिक्‍शा अपने नाम से निकाल लूंगा तो ये मुसीबत खत्म हो जाएगी।

नोटः- अगर आप राजू के रिक्‍शे की सवारी करना चाहते हैं तो गाजियाबाद के घंटाघर के आसपास आप इनसे मिल सकते हैं। हम राजू को इलेक्ट्रिक रिक्‍शा दिलवाने की कोशिश कर रहे हैं किसी संस्‍था से।

राजू के हौसले का वीडियो देखेंः-

https://www.youtube.com/watch?v=-YogHh7JIFs&t=34s

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here