Mau: The damaged school van after it was hit by a train in Mau district of Uttar Pradesh on Thursday morning. PTI Photo (PTI12_4_2014_000071A)

बच्चे देश का भविष्य हैं। बचपन एक बहते हुए तरल मोम की तरह होती है जिसे आप जिस खाके में डालेंगे उसी तरह से वह अपना स्वरूप बना लेगी। बच्चों को नहीं पता होता है अच्छा क्या है बुरा क्या है। बीते कुछ माह के दौरान कई ऐसी सड़क घटनाएं घटी हैं जिनमें सैकड़ों मासूमों ने अपनी जान गंवाई है। बच्चे घर से निकलते हैं बढ़िया शिक्षा हासिल करने के लिए लेकिन उन्हें इसके बदले में मिलती है मौत। मासूमों को नहीं पता होता कि आपने उनके लिए जो फैसला किया है वो कितना सही है या गलत? इसलिए बच्‍चों के लिए कोई भी फैसला करने से पहले आपको अपना दिमाग चलाने की जरूरत है।

ड्राइविंग महज स्टीयरिंग संभाल लेने या फिर एक्सीलरेट करने से नहीं आ जाती है। एक ड्राइवर का उतना ही पढ़ा लिखा होना जरूरी होता है जैसे एक मैथ के मास्टर को सारे फॉर्मूले पता होते हैं कि उसे हल कैसे किया जाता है। जिसने स्कूल में पढ़ाई नहीं की, जिसको पढ़ना नहीं आता वो भला आपके बच्चे की जिंदगी को कैसे सुरक्षित रख सकता है। सच मायने में देखा जाए तो बहुत से ड्राइवर जो ड्राइव करते हैं उनके पास लाइसेंस तक नहीं होता। और हम जैसे पढ़े-‌लिखे व्यस्त लोग ये जहमत उठाने की कोशिश नहीं करते कि बच्चों के स्कूल वैन को सुपरकार की तरह भगाने वाला ड्राइवर कितना समझदार है।

एक ड्राइवर सीमा पर तैनात सिपाही से भी ज्यादा जिम्मेदार होता है क्योंकि एक ड्राइवर के हाथ में न जाने कितने लोगों की जान होती है। इसलिए अगली बार जब कोई ड्राइवर हायर करें तो ध्यान रहे कि उसे ड्राइविंग की समझ हो और वो पढ़ना जानता हो। ड्राइवर का लाइसेंस जरूर देखें। अगर आप स्कूल वैन हायर करें तो उस ड्राइवर की ड्राइविंग स्टाइल के बारे में अपने बच्चों से भी जानकारी ले सकते हैं। बच्चे बहुत तेजी के साथ सबकुछ आब्जर्ब करते हैं अगर आप उनके दोस्त बनकर पूछेंगे तो वो जरूर बताएंगे कि उनका ड्राइवर अंकल कितनी तेज या धीमी गाड़ी चलाता है। आज ही जाग जाएं, कल एक और दुर्घटना होने का इंतजार न करें, मासूम बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करें।

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